बहन: एक मुस्कान जो हर दर्द भुला दे

कुछ रिश्ते खून से जुड़ते हैं, तो कुछ दिल से। लेकिन भाई-बहन का रिश्ता उन अनमोल रिश्तों में से है जो दोनों से बना होता है — खून से भी और दिल से भी। ये रिश्ता झगड़ों में प्यार छुपाए होता है, और प्यार में तकरार।
बचपन की यादें: झगड़े, हंसी और साझापन
हर किसी के बचपन में एक ऐसा साथी होता है जो कभी खिलौने के लिए लड़ता है, तो कभी चुपचाप अपना हिस्सा हमें दे देता है। वही भाई या बहन।
भले ही माँ की डांट से बचने के लिए एक-दूसरे पर इल्ज़ाम लगाए हों, पर जब कोई और डांटता, तो सबसे पहले वही साथ खड़े होते थे।
समय के साथ रिश्ता बदलता नहीं, गहराता है
समय के साथ हालात बदलते हैं — स्कूल, कॉलेज, नौकरी, शादी — लेकिन भाई-बहन का रिश्ता कभी पुराना नहीं होता। दूरियाँ भले ही आ जाएँ, दिलों की नज़दीकियाँ वैसी ही रहती हैं।
फोन पर एक "सब ठीक है न?" में वो पूरी चिंता, पूरी मोहब्बत छिपी होती है जो शायद शब्दों में बयां नहीं हो सकती।
रक्षाबंधन, भैया दूज: सिर्फ रस्म नहीं, भावना है
राखी बाँधने की रस्म या टीका करने की परंपरा सिर्फ परंपरा नहीं, एक वादा है — साथ निभाने का, सुरक्षा देने का, और हमेशा एक-दूसरे की ढाल बनने का।
भाई-बहन: भावनाओं का सबसे खूबसूरत संगम
भाई-बहन का रिश्ता एक ऐसा संगम है जहाँ माँ जैसी ममता, पिता जैसी सुरक्षा, दोस्त जैसा साथ और जीवनभर का विश्वास होता है।
वो रिश्ता जो बिना कहे सब कुछ समझ जाता है। जहाँ न कोई शर्त होती है, न कोई स्वार्थ — सिर्फ अपनापन होता है।
अगर आपके जीवन में कोई भाई या बहन है, तो खुद को खुशनसीब समझिए। क्योंकि ज़िंदगी में बहुत कुछ खो जाए, ये रिश्ता हमेशा आपके साथ खड़ा रहता है — मजबूत, प्यारा और अमिट।
"भाई-बहन का साथ"
चलते-चलते बचपन की गलियों में,
एक मुस्कान छुपी है उन खिलौनों में।
जहाँ तू भी था, मैं भी थी —
नोकझोंक की मीठी कहानी थी।
तू चिढ़ाता था, मैं रो देती थी,
फिर भी तुझसे पहले हर बात तुझसे ही कहती थी।
तेरी किताबें, तेरे दोस्त — सब मेरा हक़,
तेरी बहन थी, तेरे दिल की सबसे प्यारी शक्ल।
वो राखी के धागे, वो मिठाई की मिठास,
हर साल का वो छोटा-सा उल्लास।
भले ही अब दूरियाँ बढ़ गई हों रास्तों से,
पर दिल आज भी जुड़ा है उन्हीं क़समों से।
तू मेरा रक्षक, मेरा दोस्त, मेरा गुरूर,
तेरे बिना लगता है हर जश्न अधूरा और दूर।
दुआ है रब से बस यही बार-बार,
तू रहे खुश, तुझपे ना आए कोई वार।
