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चली जा रही है उम्र धीरे-धीरे, पल-पल यूं आठों पहर धीरे-धीरे।।

चेतावनी भजन – जीवन की सच्चाई का आईना

"चेतावनी भजन" एक ऐसा भजन है जो हमें जीवन की नश्वरता और समय की गति का एहसास कराता है। यह भजन जीवन की सच्चाइयों को सरल लेकिन प्रभावशाली शब्दों में उजागर करता है। जैसे-जैसे समय बीतता है, उम्र ढलती जाती है और शरीर कमजोर होता जाता है। ऐसे में यह भजन हमें समय रहते ईश्वर का स्मरण करने और अच्छे कर्म करने की प्रेरणा देता है।

भजन

चली जा रही है उम्र धीरे-धीरे,

पल-पल यूं आठों पहर धीरे-धीरे।।

बचपन भी जाए, जवानी भी जाए,

बुढ़ापे का होगा असर धीरे-धीरे।।

. समय के साथ बचपन और जवानी दोनों ही बीत जाते हैं। धीरे-धीरे बुढ़ापा असर दिखाने लगता है। यह शारीरिक परिवर्तन जीवन की सच्चाई है।

तेरे हाथ-पांव में बल न रहेगा,

झुकी सी तुम्हारी कमर धीरे-धीरे।।

. एक समय ऐसा आता है जब शरीर की ताकत कम होने लगती है। हाथ-पांव कमजोर हो जाते हैं और कमर झुक जाती है।

शिथिल अंग होंगे, एक दिन तुम्हारे,

फिर मंद होंगी नजर धीरे-धीरे।।

. अंग-प्रत्यंग शिथिल हो जाते हैं, और दृष्टि भी कमजोर होने लगती है। यह सब धीरे-धीरे होता है, पर निश्चित होता है।

बुराई से मन को अपने हटा ले,

सुधर जाए तेरा जीवन धीरे-धीरे।।

. यदि हम समय रहते बुराई से मन को हटा लें और अच्छे कार्य करें, तो जीवन धीरे-धीरे सुधरने लगता है।

जो करते रहोगे भजन धीरे-धीरे,

मिल जाएगा तेरा सजन धीरे-धीरे।।

. ईश्वर का भजन और सुमिरन करने से अंततः आत्मा को उसका सच्चा सजन (भगवान) मिल ही जाता है।

यह भजन न केवल एक आध्यात्मिक गीत है, बल्कि एक चेतावनी है कि हम समय रहते अपने जीवन को सुधारें, बुराइयों से दूर रहें और सच्चे मार्ग पर चलें। धीरे-धीरे सब कुछ बदलता है – उम्र, शरीर, दृष्टि – लेकिन जो नहीं बदलता वो है ईश्वर की भक्ति का फल। इसलिए, आज से ही शुभ संकल्प लें और जीवन को सार्थक बनाएं।

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