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गुरु सबके पाप धोता, कभी गुरु से पूछा – आप...

 

गुरु सबके पाप धोता, कभी गुरु से पूछा – आप कैसे हो?

हमारी संस्कृति में गुरु को ईश्वर से भी ऊपर स्थान दिया गया है। “गुरु ब्रह्मा, गुरु विष्णु, गुरु देवो महेश्वर” ये सिर्फ श्लोक नहीं हैं, यह हमारी श्रद्धा, विश्वास और जीवन का सार है। गुरु वह दीपक है जो अज्ञान के अंधकार में जलकर भी स्वयं को जलाता है, ताकि शिष्य को रास्ता दिखा सके। लेकिन एक सवाल जो कभी शायद हमने नहीं सोचा – "गुरु सबके पाप धोता है, कभी गुरु से पूछा – आप कैसे हो?"

गुरु: एक शांत तपस्वी

गुरु कोई साधारण व्यक्ति नहीं होता। वह हर दिन, हर क्षण अपने शिष्यों की उन्नति के लिए समर्पित रहता है। चाहे जीवन के पाठ हों, आध्यात्म की बातें हों, या व्यवहारिक ज्ञान हो – गुरु हर दिशा में मार्गदर्शन करता है।

जब हम टूटते हैं, गुरु हमें जोड़ता है।

जब हम हार मान लेते हैं, गुरु हमें फिर से उठाता है।

जब हमें अपनी ही पहचान नहीं होती, गुरु हमें हमारी आत्मा से मिलवाता है।

लेकिन क्या कभी हमने रुककर उनसे पूछा कि “गुरुजी, आप कैसे हैं?”

गुरु भी तो एक मानव हैं...

हां, गुरु दिव्य है। लेकिन वह भी एक शरीर में बंधा प्राणी है।

उन्हें भी पीड़ा होती है, थकान होती है, कभी अकेलापन भी महसूस होता है।

हर दिन अपने शिष्यों की समस्याएं सुनना, उन्हें समाधान देना – यह सिर्फ ज्ञान नहीं, यह नित्य त्याग है।

उनकी आंखों में हमारे लिए प्रेम होता है, लेकिन उनकी अपनी वेदना? वह अक्सर अनकही रह जाती है।

 

श्रद्धा के साथ संवेदना भी ज़रूरी है

गुरु को पूजना अच्छी बात है। लेकिन केवल चरण छूना ही श्रद्धा नहीं है।

कभी उनके हाल-चाल पूछ लेना भी सेवा है।

कभी उनके लिए एक कप चाय बनाकर देना भी भक्ति है।

कभी उनसे बिना कोई ज्ञान मांगे, सिर्फ उनके साथ बैठना भी साधना है।

 

गुरु के पास जाकर अगर हम यह पूछ लें –

"गुरुजी, आप कैसे हैं?"

तो शायद वह मुस्कराकर कहें –

"अब अच्छा हूं, कोई तो पूछने आया।"

गुरु पूर्णिमा से आगे बढ़िए...

हम साल में एक दिन गुरु पूर्णिमा मनाते हैं, बड़े आयोजन करते हैं, फूल चढ़ाते हैं। लेकिन गुरु को सिर्फ एक दिन नहीं चाहिए।

उन्हें चाहिए हमारा आत्मिक जुड़ाव।

हमें चाहिए उनके साथ जीवन भर का संवाद।

अंत में – एक छोटी सी प्रार्थना

हे गुरुदेव,

आप हर दिन हमें हमारी आत्मा से मिलवाते हैं,

आज हम प्रार्थना करते हैं कि आपको भी वही शांति मिले,

जो आप हमें सिखाते हैं।

हम आपको सिर्फ पूजना  चाहते,

हम आपके जीवन का हिस्सा बनना चाहते हैं।

कृपया बताइए – "आप कैसे हैं?"

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