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ऑक्सीजन: वो अनदेखा वरदान जिसे हम भूलते जा रहे हैं क्या कभी आपने उस ऑक्सीजन के बारे में सोचा है जिसे

क्या  आपने उस ऑक्सीजन के बारे में सोचा है जिसे आप हर पल, हर सांस में ले रहे हैं? शायद नहीं। क्योंकि जो चीज़ हमें बिना मांगे मिलती है, उसकी कीमत हमें तब समझ आती है जब वह छिनने लगती है। कोविड-19 की महामारी के समय जब ऑक्सीजन सिलेंडर की मारामारी हुई, तब लोगों को पहली बार ये एहसास हुआ कि ऑक्सीजन सिर्फ एक गैस नहीं, बल्कि जीवन की डोर है।

 

लेकिन अब? जैसे ही संकट टला, वैसे ही हम सब भूल गए कि हमने उस समय क्या झेला था। आज न तो कोई पेड़ लगा रहा है, न ही कोई ऑक्सीजन की बात कर रहा है। हम सब फिर से उसी दौड़ में लग गए हैं – पैसा कमाने की, नाम कमाने की, और सोशल मीडिया पर अपने चेहरे और आवाज़ दिखाने की।

 

•• ऑक्सीजन पर ही चमकता है चेहरा, ऑक्सीजन से ही निकलती है आवाज़

 

कभी सोचा है कि जिस आवाज़ को आप वीडियो में रिकॉर्ड कर रहे हैं, जो चेहरा आप सेल्फी में दिखा रहे हैं, वह सब किस पर निर्भर है? आपकी सांसों पर, और वो सांसें मिलती हैं पेड़ों से – प्रकृति से।

 

पेड़, जिन्हें हम "फालतू जगह की बर्बादी" समझकर काटते जा रहे हैं। मोबाइल सबके पास है, लेकिन घर के बाहर एक पौधा तक नहीं है। क्या हम इतने आत्मकेंद्रित हो गए हैं कि जिस जीवनदायिनी शक्ति से हम जिंदा हैं, उसी की अनदेखी कर रहे हैं?

 

•• जिम्मेदारी किसकी है?

 

सवाल उठता है – पेड़ लगाने की ज़िम्मेदारी किसकी है? सरकार की? पर्यावरण कार्यकर्ताओं की? या सिर्फ उन लोगों की जो जंगलों में रहते हैं? नहीं! यह ज़िम्मेदारी हम सबकी है। जो ऑक्सीजन हम ले रहे हैं, उसके लिए हमारा भी कर्तव्य बनता है कि हम उसका स्रोत – पेड़ – बचाएं और बढ़ाएं।

 

हर इंसान अगर साल में सिर्फ एक पेड़ लगाए और उसकी देखभाल करे, तो आने वाली पीढ़ियों को हम एक सांस लेने लायक धरती दे सकते हैं। लेकिन अफसोस, हमारे पास इंस्टाग्राम पर वीडियो बनाने का टाइम है, लेकिन एक पेड़ लगाने का नहीं।

 

•• अब भी वक्त है...

 

अभी बहुत देर नहीं हुई। हम सब जाग सकते हैं। शुरुआत आज से करें:

 

• अपने घर या मोहल्ले में एक पेड़ लगाएं।

• दूसरों को भी पेड़ लगाने के लिए प्रेरित करें।

• प्लास्टिक का कम इस्तेमाल करें, और कचरे का सही प्रबंधन सीखें।

• सोशल मीडिया पर सिर्फ चेहरे मत दिखाइए, हरियाली भी दिखाइए।

 

• • आख़िरी बात

 

जिस दिन सांसें रुकेंगी, उस दिन कोई चेहरा, कोई आवाज़, कोई मोबाइल काम नहीं आएगा। इसलिए उस शक्ति की कद्र कीजिए जो हमें जिंदा रखती है – ऑक्सीजन। और वह मिलती है पेड़ों से।

 

तो आइए, सिर्फ बातें नहीं, आज एक पेड़ लगाएं। क्योंकि यह सिर्फ पर्यावरण की नहीं, बल्कि हमारी ज़िंदगी की लड़ाई है।

 

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"अगर आपके दिल में थोड़ी भी जागृति हुई हो, तो इसे ज़रूर शेयर करें — हो सकता है आप पेड़ न लगा पाएं, लेकिन आपकी एक पोस्ट किसी और को प्रेरित कर दे। शायद वही पेड़ कल आपके, आपके परिवार और किसी अजनबी की सांसों का सहारा बन जाए।"

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