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सो जा मुन्ना, सो जा रे — माँ की ममता की लोरी

बचपन की सबसे मीठी यादों में से एक होती है — माँ की लोरी। जब रात की खामोशी में चाँदनी बिखरी हो, और हवा धीरे-धीरे कानों में कुछ मीठा कह रही हो, तभी माँ की आवाज़ आती है:

"सो जा मुन्ना, सो जा रे..."

 

• लोरी सिर्फ गाना नहीं होती...

लोरी एक माँ की सबसे सच्ची प्रार्थना होती है। वह हर शब्द में दुआ छुपा देती है, हर सुर में ममता। जब बच्चा रोता है, तो माँ की गोद और उसकी लोरी ही सबसे बड़ा मरहम बन जाती है।

 

"सो जा मुन्ना, सो जा रे

नींदिया रानी आई रे..."

 

यह केवल गीत नहीं, एक अनुभूति है — माँ के दिल से निकली हुई आवाज़ जो बच्चे के मन को शांति देती है।

 

• नींद नहीं, सुरक्षा का एहसास है यह

जब माँ अपने बच्चे को लोरी सुनाते हुए सुलाती है, तब वह केवल नींद नहीं दे रही होती — वह अपने आँचल की छाँव, अपने प्रेम की गर्माहट, और जीवन की सबसे सुरक्षित जगह प्रदान कर रही होती है।

 

 • हर पीढ़ी की अपनी लोरी

हर माँ की लोरी अलग होती है — कोई मीरा के भजन में ममता ढाल देती है, कोई तुलसीदास के छंदों में। पर भाव वही रहता है — प्यार, देखभाल, और अपने बच्चे के लिए दुआ।

 

• लोरी कभी नहीं मरती

आज भले ही मोबाइल, टीवी और ईयरफोन ने लोरी की जगह लेने की कोशिश की हो, लेकिन माँ की गोद में गुनगुनाई गई लोरी का असर आज भी वैसा ही है — सुकून देने वाला, प्रेम से भरा हुआ।

 

• आओ, फिर से गाएँ...

अगर आप माता-पिता हैं, तो कभी समय निकाल कर अपने बच्चे को लोरी गाकर सुलाइए। आप देखेंगे कि उस लोरी में जितना सुकून बच्चे को मिलेगा, उतना ही आपको भी।

 

"सो जा मुन्ना, सो जा रे

तेरे सपनों में फूल खिलें

तारे हँसें, चाँद गले 

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