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माँ: बचपन में 'मेरी', बुढ़ापे में 'तेरी' क्यों?
माँ के प्रति हमारे व्यवहार और सोच में बदलाव को उजागर करता है। इस पर आधारित एक विस्तृत ब्लॉग नीचे दिया गया है: माँ: बचपन में 'मेरी', बुढ़ापे में 'तेरी' क्यों? इस दुनिया में शायद ही कोई रिश्ता इतना निश्छल, इतना त्यागमयी और निस्वार्थ होता है जितना माँ का होता है। माँ अपनी पूरी जिंदगी अपने बच्चों की खुशियों में बिता देती है। लेकिन जब वही माँ बुढ़ापे में सहारे की ज़रूरत महसूस करती है, तब कई बार हम...
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